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Shiv Sahasranam 1934

Shiv Sahasranam 1934: Unraveling the Mystical Chants of Lord Shiva



Introduction

Welcome to the sacred realm of Shiv Sahasranam 1934, a profound collection of a thousand and thirty-four divine names dedicated to Lord Shiva. In this article, we embark on a spiritual journey to explore the significance, the mystical vibrations, and the divine power encompassed within these sacred chants. Join us as we delve into the essence of Shiv Sahasranam 1934 and discover the spiritual enlightenment it bestows upon devotees.

The Origins of Shiv Sahasranam 1934

Shiv Sahasranam 1934 finds its roots in ancient Hindu scriptures, where Lord Shiva is revered as the Supreme Being and the embodiment of cosmic consciousness. The Sahasranam, meaning a thousand names, is a devotional hymn that adorns Lord Shiva with divine attributes and symbolizes the boundless nature of the Divine.

The Sacred Chants: A Symphony of Devotion

Shiv Sahasranam 1934 is a tapestry of sacred chants that celebrates the multifaceted aspects of Lord Shiva. Each name holds profound significance and acts as a unique pathway for devotees to establish a deeper connection with the Divine. Some of the divine names featured in Shiv Sahasranam 1934 include:

1. Maheshwara

As "Maheshwara," Lord Shiva is celebrated as the Supreme Lord and the source of cosmic energy. This name signifies His role as the destroyer of ignorance and the bestower of wisdom.

2. Trilochana

"Trilochana" refers to Lord Shiva's three eyes, with the third eye symbolizing his transcendental knowledge and inner vision that sees beyond the material world.

3. Neelakantha

"Neelakantha" describes Lord Shiva's blue throat, which emerged after He consumed the poison from the churning of the cosmic ocean. This act saved the universe from destruction, illustrating His benevolence.

4. Ardhanarishwara

"Ardhanarishwara" represents the divine and harmonious union of Lord Shiva with the Goddess Parvati, signifying the inseparable oneness of the male and female energies in the cosmos.

5. Pashupati

As "Pashupati," Lord Shiva is the Lord of all creatures, symbolizing His role as the protector and sustainer of all life forms on earth.

6. Maha Yogi

"Maha Yogi" acknowledges Lord Shiva as the Supreme Yogi, immersed in deep meditation and eternal bliss, bestowing spiritual guidance to seekers.

Significance and Spiritual Benefits

Chanting Shiv Sahasranam 1934 with devotion and sincerity holds immense spiritual significance and benefits:

1. Elevating Consciousness

The chanting of Lord Shiva's thousand names elevates consciousness and helps practitioners transcend the limitations of the material world, fostering a deeper connection with the Divine.

2. Protection and Blessings

Devotees believe that chanting Shiv Sahasranam 1934 invokes Lord Shiva's divine protection and bestows blessings for a fulfilling and purposeful life.

3. Removal of Obstacles

Chanting these sacred names is believed to remove obstacles, negativities, and karmic patterns, paving the way for spiritual growth and inner transformation.

4. Inner Peace and Bliss

The vibrations of these divine names create a serene and blissful atmosphere, instilling inner peace and harmony in the hearts of devotees.

5. Connection with Universal Consciousness

By meditating upon Lord Shiva's sacred names, devotees seek to unite their individual consciousness with the universal consciousness, realizing the oneness of all existence.

Conclusion

In conclusion, Shiv Sahasranam 1934 is a spiritual treasure trove that immerses devotees in the divine essence of Lord Shiva. Each name resonates with profound meaning, igniting the spiritual flame within the hearts of seekers.



acc Ё Ше | әз), 7 | : | 5 | | 71 5 7% : 4 =ч AAO > el संपादक — गौरीशङ्कर патат प्रकाशक —. भक्ति-अन्थमाला BATA, SUT | aT БЕ” मद्रक--सहादुरराम, हितेपी प्रिंटिंग दक्सं, नीचीबाग, बनारस सिटी । SOS ee مور‎ “салын не. هش‎ eee . ها” उपक्रम E ЧЕЧ नाम शिव को जपे, करिके शिव को ध्यान | їй सोउ नर, पावै पद-निर्वानः ॥ भगवान्‌ शंकर के 'खहदस्रनाम' के पाठ का भी बड़ा माहात्म्यं | कहा गया है 1 श्रीकष्णजी ने इसका पाठ किया था और इसका » रहस्य सुनिया से कहा था । इसके सम्बन्ध में जो कथा दी हुई है उसका सारांश इस प्रकार है-- | एक वार सब मुनि लोग छारका को देखने के लिये गये | | श्रीकृष्णजी ने विधिपूर्वक उनकी पूजा की और आशीर्चाद्‌ पाया | | زو‎ ښو адс उन्होंने भूमि का भार हटाने लोक-मंगलकारी चरित .सुनाया । उन्होंने स्नान करके 'विधिवत्‌ भगवान शंकर की पूजा की । तत्पश्चात्‌ उन्हाने भुक्ति тч = देनेवाले शिवसहस्रनाम का जप कियां। श्रीकृष्ण गि यह ऊत्य देखकर सब मुनि आश्चर्यचकित हो गये | तब | ने भ्रीकृष्णजी से पूछा कि आप तो सब संसार - - हि स्वामी हैं आपने भगवान. शिव की पूजा क्यो कर की 1 7 مس е > نوم ‎و आक 221 ककि = fr 4 dt eee‏ ص a эь ITS ob А‏ О" سم مل ساسا ( २) कृष्णजी ने कहा कि. आपको साधुवाद है, आपने बड़ कअच्छा प्रश्न-किया है। यद्यपि आप लोगों को कोई ۳ aera नहीं है फिर भी. Û आप लोगो को इसका रहस्य! बतलाता हूँ । सावधान होकर खुनिये । भगवान्‌ शंकर TÎ ६से परे, सब देवौ के देव, सब कारणो के कारण ही हमारे भीप` सूल हैं। तीनों लोको में उनके अतिरिक्त कोई देवता नहीं है | पभगवान शंकर सब कुछ जानते हैं, वे aan निवास करते کا‎ . चेदान्तः- में उन्हीं का वर्णन होता है। सच सुनि उन्हीं का *ध्यान करते 81 उन्हीं महादेवजी में मेरी और अझा दोनों |:भक्ति है 1% परत्रह्म हैं, परात्पर हैं, चिन्सय हे | Жалаңउन्हीं की इच्छा से संसार-की उत्पत्ति, स्थिति और अन्त होताहै। उन्हीं के वाँट भाग से मैं विष्णु रूप में उत्पन्न тебіउन्होंने अपने दाहिने अंग से ब्रह्मा की उत्पत्ति की और मध्य भाग से रुद्रजी उत्पन्न हुए | उन तीनो ने श्रीशिवजी से कहा कि. हे वत्स, तुम लोग तप करो। तब उन्हे प्रणाम करके उन Fall |विष्णु और महेश्वर ने उनसे कहा कि हे परमेश्वर aleकिस प्रकार तप कर, हमे आप संपूण बात वताइये । तब 2 जी बोले कि तुम लोग मन, वचन ओर शरीर से ध्यान, पूजा ‎چاوजप द्वारा काम-क्रोधादि से रहित होकर तप करो аҹ उन्होने कहा कि हे ий, आपने जो कुछ कहा Ad बड़ा 35491 इसलिये कोई सीधा هک‎ सरल उपाय बतलाइये | wa शिवजी ने कहा कि तुभ लोग हमारे सहस्तननाम का जप, і7 К те „Кеш ағы. ( ३) | करो | अब हम तुम्हे. उसका विधान TTR हैं, वह भी खुनो । | इसके पढ़ने और खुनने ले तुरत अमोघ सुक्ति मिलती & 1 я9- (жї के साथ स्नान करके उज्ज्वल वस्त्र पहनकर, जितेन्द्रिय \ खोकर मेरा ध्यान करे। भस्म чощ करे, मौन होकर और Laat ۍ‎ 22-1117 कल्याणकारी शिव का । पार्वती सहित भ्यान करे ( २६-३६ )। फिर रक्षा के लिये (दिग्बन्ध और न्यासादि करे ( ४० से ५३ аж) और साक्षात शु रूप बन जाय ।फिर नमो RT इस सन्त्र को श. भक्तिपूजेक, पढ़े ( ५४ ача तक ) 1 फिर ‘सद्योजातादि! मंत्रो ४) के द्वार शिवजी को नमस्कार करे (६० से ६१ तक 21 तब | n । इस सहस्रनाम का पाठ करे | यह सहस्जनाम सब पातको का. > ۳ करनेवाला और सव लोक के लिये मंगलदांयी है | а | मकर-संक्रान्ति, ۰ कार्यालय, | गौरीशङ्कर गनेड़ीचाला‏ تورو і छपरा | DB IA Re‏ ० a چ‎ „= “५ TA + с, AAS т " * bs Po Р Б. pope ds - भया ж. ў Re) Үз» т [De Ss ووو‎ RN н ыч, СЫ yr | 4 9 Ұй қ че мМ. 2 Е >> ee | ` ] ® МА هد هدوهټپ‎ A ۷ 1 5 4 ХХ жыл” оқуы Же ٤ : न De ff ROR 2. डे rs 4 | у і _ کر ~۹ лы $ ۶ ЛУ | | | 1 . >) 3 £ ai k 1 recs жү” Е 2 «०५४ ёч bi J - 4 т heey .. ۳ ж. € » क =, ex қ ТУУА < ‎ساЖы ТЕ s ~ - р >. н. е $ £ - - > r ‎د2० Í 1 2 2 A 9 : 2 . + А, £ , ۴ To о f й Р қ а - 7e > .. 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Aire ‎خو एकदा सुनयः Aa द्वारकां दृष्टुमागताः। жеді च सोत्करठाः कृष्णदशनलालसाः ॥ ۱١ ततस्तु भगवान्‌ प्रीतः पूजां चक्र यथाविधि | तेषामाशीस्ततो गृह्य बहुमानपुरःसरम्‌ ॥ २॥ ` 8: чы: कथयामास OAT च यत्‌।. ` Ұл Әб africa लोकानन्दकर॑ परम्‌ ॥ ३॥ ` _ माकए्डेयसुखाः सर्वे माध्याह्विकक्रियोत्थिताः। ° कृष्णः स्नानमथो че सदाक्षतकुशादिभिः ॥ ४॥ ` | सूयोपस्थानसन्ध्यां च чнч! و‎ शिवपूजां ча: गन्धपुष्पाक्षतादिभिः ॥ ५. ॥ चकारः विधिवद्भक्त्या नमस्कारयुंतां शभाम्‌। ` जय UST सोमेश रक्ष GR चान्रवीत्‌॥ ६॥` जजाप शिवसाहस्नं भुक्तिमुक्तिप्रदं विभोः. 2 अनन्यमानसः शान्तः पद्यासनपरः शुचिः॥ ७॥ RR‎ویک =शिवसहस्ननाम ---- ततस्ते विस्मयापन्ना इष्टा रुष्णविचेष्टितम्‌ | адзн! чый JAGET ॥ ८॥ माकण्डेय उवाच-- त्वं विष्णुः कमलाकान्तः' परमात्मा ۱ तव पूज्यः कंथं TET TEW मे ॥ &॥ व्यास उवाच-- ` अथ ते सुनयः सचे RON TI वचोभिवांखुदेचस्य ч= arg त्वयेति. ЕСІ ` e उवाच-- साधु साधु सुने чї हिताय सकलस्य च। | आज्ञात तब नास्त्येव तथापि च वदाम्यहम्‌ ॥ ११॥ : दैवतं खवंदेवानां सवंकारणकारणम्‌ | ज्योतिर्यत्परमानम्दं सावधानमतिः शु RM चिश्वसाधनमीशानं शुणातीतमजं परम्‌ । | | जगतस्तस्थुषो ह्यात्मा मम मूलं महामुने ॥ १३ || यो देवः सवदेवानां ध्येयः FT: सदाशिवः | همه‎ ख fa स -महादेवः жон निरञ्जनः ॥ १४॥ तस्मान्नान्यपरो देवस्त्रषु लोकेषु विद्यते। ` SAG; TAT: शम्भुः чегет чна: ॥ {ЧП aed सवंवेदान्ते सिद्धान्ते यो. सुनीश्वरैः। . . तस्मिन्भक्तिंमंहादेवे मम धातुश्च निर्मला ॥ १६ N 4 a ٠ || 1 | 1 | ‘| 1 | शिवसहस्जनाम महेशः परमं ब्रह्म शान्तः सूक्ष्म: परात्परः | Saat: ' सर्वसाक्षी चिन्सयस्तमसः परः ॥ १७॥ निर्चिकल्पो निराभासो Бү निरुपद्रवः 1 RT: чеч महापुरुष इश्वरः RE तस्य चेच्छाभवत्पूर्वं जगस्थित्यन्तकारिणी | चामाङ्ादभवत्तस्य «158 विष्णुरिति ане: RA ॥ अनयामाख धातार दक्षिणा ङ्गात्सदाशिवः 1. मध्यतो रुद्रमीशान कालात्मा परमेश्वरः ॥ Ro | तपस्तपन्तु भो वत्सा SERR ताञ्छिवः | ततस्ते - शिवात्मानं प्रोचुः संयतमानसाः ॥ २१ ॥ | स्तुत्वा तु विविधेः «аҹ: णम्य च पुनः पुनः | ब्रह्म चिण्णुमहेश्वरा 99: — तपः केन प्रकारेण कतंव्यं परमेश्वर ॥ २२-॥ हि ачаа स्वात्मानं FRE नापरः ` RR उवाच-- कायेन मनसा वाचा ध्यानपूजाजपादिभिः ॥ २३ । _कामकोधादिरदितं तपः FFI wt 1 ` FT त्वया यत्कथितं शम्भो. दुशेयमजितात्मसिः .1 २४ | | TRENT иша чч कारुणयचारिधे । ` | १० : бачен शिव उचाच-- सहर्ननामसदिद्यां जपन्तु मम Бе ॥ २५ ॥ यया संसारमग्नानां सुक्तिभवति शाश्वती 1 . erg तद्विधानं हि महापातकनाशनम्‌॥ २६ ॥ ` « ' पठतां этачаї सद्यो युक्तिः स्यादनपायिनी | ब्रह्मचारी कृतस्नानः शुक्लवासा जितेन्द्रियः ॥ २७ ॥ ` भस्मधारी मुनिमोनी पझ्ासनसमन्वितः | |ध्यात्वा मां सकलाधीशं निराकार सुनीश्‍वरम्‌॥ -RE ٢٠ पावतीसहितं शवं जटासुकुटमरिडतम्‌.। чет مک‎ IA चन्द्राद्ध कतशेखरम्‌ ॥ RA N च्यस्बकं TRIAS छत्तिवाससमुज्ज्वलम्‌ | सुराचिंतपदडन्दं दिव्यभोगं सुसुन्दरम्‌ ॥ ३० N विभ्राणं सुप्रसन्न च FR च वराभयान्‌। чач कमलांसीन नागयज्ञोपचौतिनम्‌॥ ३१॥ विश्वकायं चिदानन्दं शुद्धमक्षरमव्ययम्‌ | सहस्रशिरसं शम्भुमनन्तकरसंयुतम्‌ ॥ ३२॥ सहस्रचरणं दिव्यं सोमसूयाग्निलोचनम्‌ | जगद्योनिमजं ब्रह्मशिवमाद्यं सनातनम्‌ .॥ ३३.॥ दृष्ट्राकयलद॒प्पेच्यं सूयकोटिसमप्रभम्‌। _ निशाकरकराकारं भेषजं भवरोगिणाम्‌ ॥ ३४ N पिनाकिने चिशालाच्षं पशनां पतिमीश्वरम्‌ | RAAT कालकालं - देदेवं ASAT ॥ ३५ It शिवसहस्ननाम २९ शानवैराग्यसस्पन्न॑ योगानन्द्मयं WL 10-67-7٧77 महायोगीश्वरेश्वरम्‌ ॥ ३६॥ समसस्‍्तशक्तिसंयुक्त पुएयकायं दुरासदम्‌ । तारकं ब्रह्मसस्पूर्णमणीयांस महत्तमम्‌॥ ३७॥ यतीनां परमं ब्रह्म यतीनां तपसः फलम्‌ N संयमिहत्समासीनं तपस्विजनसम्पदम्‌ || З= | विधीन्द्रचिष्णुनमितं सुनिसिद्धनिषेचितम्‌ 1 ,महादेव॑ महात्मान देवानामपि दैवतम्‌ as tt. शान्तं पवित्रमोङ्कारं ज्योतिषां ज्योतिरुत्तमम्‌ । ` शङ्करो मे शिरः ча ललाटं भाललोचनः ॥ ४० |... зач. पातु रुद्रो मम чапай! गरड. पातु महेशानः श्रुतौ रक्षतु पूर्वजः ॥ ४१॥ . कपोलौ मे महादेवः पात॒ नासां सदाशिवः | सुखं पातु .हविर्भाक्ता ओष्ठौ पातु महेश्वरः ॥ ४२ ॥- - दन्तान्‌ WAG सोमकंलाधरः। . रखनां परमानन्दः पातु Tat शिवाम्रियः ॥ ४३-॥ ` Е चिबुकं पाठु मे श्‍्मधूञ्‌ शत्रुविनाशकः | | कूच्चं पातु भवः कण्डं नीलकरठो5वतु WaT || ४४ | | स्कन्धौ स्कन्घपतिवांडं बहुहस्तधरः सदा | “sag HERA: करो विद्युधसत्तमः ॥ ४५ ॥ | अंगुलीः पातु पञ्चास्यः पर्वाणि च кыча! . ` । द्यं पातु सर्वात्मा स्तनो पातु पितामहः ॥ ४६॥ ` =т= =“ = ® 2° pan nenn ane .. - = А а teesee22. शिवसहस्तनाम _ sat ‎سيमध्यं मे मध्यमेश्वरः | कुचौ पातु. भवानीशः पृष्ठ पातु Fw чәй - ५ प्राणान्मे प्राणदः पातु नाभि भीमः कटि विञ्चुः। सक्थिनी पातु मे भगो aa जनका धिपः ॥ ४८ 1 जंघे чеч: पातु चरणौ чач: | शरीरं पातु मे жай वाह्ममाभ्यन्तरं शिवः ॥ vs N इन्द्रियाणि हरः पातु सवत्र जयघद्धनः | чї पातु खडः पातु दक्षिणे यमसूदनः ॥ ५० ॥ . ` चारुण्यां खलिलाधीश उदीच्यां मे महीधरः | Sarat पातु भूतेश 'आग्नेय्यां रविलोचनः | ५१ ॥ не чашса . वायव्यां यलवद्धनः | ऊध्वं पातु मखद्वेषी अधः संखारनाशनः ॥ ५२॥ ` सर्वतः чач: पातु atk पातु чеч: | ` एवं न्यासादिकं कत्वा सात्ताच्डंसुमयो भवेत्‌॥ ५३ A ` नमो हिरण्यवाहच इति पठेन्मत्रं तु भक्तितः | नमो हिरण्यवाहचे हिरण्यवर्णाय हिरण्यरूपाय | हिरण्यपतये ऽस्बिकापतये उमापतये पशुपतये नमो नमः ॥५४॥ सद्योजात प्रपद्यामि सद्योजाताय व नमो नमः भवे अवे नातिभवे भवस्व मां чата नमः १२।। -चामदेवाय नमो ज्येछाय. नमः 2911 ;.नमो акта. नमः कालाय नमः कलविकरणाय `. नमो शिवसहस्रनाम. ` १३. чабата मसो बलाय नमो बलप्रमथनाय नस! чечен नभो सनोन्सनाय नसः ॥ ५६ || अधघोरेक्योऽथघोरेस्यो घोरघोरतरेभ्यः AST सवशर्वन्यो नसस्तेऽस्तु रुद्ररूपेभ्यः UAE ;.. Š सत्पुरुषाय Ra महादेवाय धीमहि | तन्नो रुद्रः प्रचोद्यात्‌ ॥ ९८ ॥ ईशानः सवेविचानामीशवरः TATÎ 7 थिपलिन्रह्मणोऽधिपतिन्नह्मा शिवो मे. अस्तु सदा- RTA ॥ ५६ || | सचोजातादिभिमनन्‍्त्रैनमस्कुर्यात्सदाशिवम्‌ аа: مچ‎ पठितव्यं सुसुक्षमिः ॥ ६० tt सर्वेकायकरं पुण्यं मदहापातकनाशनम्‌ | > सर्वशुह्यतमं दिव्यं सवलोकहितप्रदम्‌ ۷ मन्माणां परमं मन्त्रं भवदुशखबडूमिंहत्‌ ॥ | अथ ЧӘЕ: ЧЕ नमः शस्भवाय च हृद्याय ۱ नमो भवाय च शिरसे. स्वाहा! नमः शङ्कराय च. . शिखायै ave ३ नमो मयस्करायः. च कवचाय इं । | ҷа: शिवाय च ATT El ٠ नमः शिवतराय च अखाय फर्‌ ॥. ٢ a | 4... мею: > Te. Ж. G В 4 v% й "Ta 4 ES PSS, EY | ! і ` नमोऽस्तु स्थाणुरूपाय ज्योतिसि दातात 1 || 39 ' शिचसहस्जनाम en` ` चतुसूरतिवपुःस्थाय भूपिताङ्गाय WAN | ॐ अस्य श्रीवेदसाराख्यपरमदिव्यशिवसहस्जनामस्तोञ मन्त्रस्य नारायण جدا‎ هوې सदाशिवो देवता | ४० नभ इति йән! शिवायेति शक्तिः । चेतन्यमिति कीलकम्‌ | || : सदाशिवप्रीत्यर्थ जपे विनियोग; ॥ | |` ॐ कोटिखूयेप्रतीकाश जिनेत्र TENET | -शुसटङ्कगदाचक्रक्ुन्तपाशघरं RAH ॥ ॐ नमः पराय देवाय शङ्कराय महात्मने । ` कामिने नीलकण्ठाय निस्मंलाय RR I १॥ ` аата शान्ताय निरहङ्कारिणे नमः | | 'अनध्योय विशालाय शालहस्ताथ ते नसः ॥ Uh निरञ्जनाय शवोय निःशङ्काय परात्मने। | яа: शिवाय ama गुणातीताय वेधसे ॥ 3 || महादेवाय पीताय पावतोपतये नमः कैवल्याय महेशाय (аач बुधात्मने ॥ ४॥ _ RIFAT सुधेशाय (тетя. स्वरूपिणे | नम! सोमाय भूपाय कालायासिततेजसे ॥ ә | . अजराय 'जगत्पित्रे. जनकाय पिनाकिने | | निराधाराय, सिंहाय मायातीताय ते नमः ॥ ६॥ |.% a शिवसहस्रनाम | ЕЯ जीजाथ Taya पशूनां чаа नसः | : पुरन्द्राय ATT पुरुषाय सहीयसे ॥ ७॥ अहासन्तोषरूपाय ज्ञानिने शुद्धयुद्धये | TE बहुरूपाय ताराय परमात्मने ॥ द ॥ 44504 सुरेशाय ब्रह्मणेऽनन्तस्ूतेये | : निरक्षराय аата कैलासपतये नमः॥ || निरामयाय कान्ताय निराकाराय ते नमः। सकलात्सस्वरूपाय, सोहं5तत्त्वाय ते ян: | 'निरालस्बाथ नित्याय नित्यायाः чаа नमः ॥१०॥ эе таты भव्याय पूञ्याय परभेछिने | विकतेनाय असाय शम्भचे विश्वरूपिणे ॥ ११॥ हसाय हंसनाथाय प्रसिद्धाय नमो ян: परात्पराय रूद्राय भवायालघ्यशक्तये ॥ १२॥ 277577 निधोशाय कालहन्त्रे सन स्विने | विश्वमात्रे जगद्धात्रे जगन्नेत्रे नमो नमः ॥ १३ ॥ जटिलाय विरागाय पवित्राय seta च | निरवद्याय धीराय RATT ते नमः | नादाय रचिनेत्राय व्योमकेशाय ते नमः ॥ १४-॥ agama साराय योगिनेऽनन्तमायिने । - - धर्मिष्ठाय वरिष्ठाय पुरत्रयविघातिने ١١ १५ || सि ` ` शिवसहरूनाम - |गरिष्ठाय ` गिरीशाय वरदाय नसो नभ; | 1 व्याघचमोस्बरायाथ द्शावस्त्राय ते नसः ॥ १६ ॥ RANT ATT प्रमथाय TTT | आद्याय शूलहस्ताय शितिकण्ठाय तेजसे ॥ १७॥ उग्राय वामदेवाय श्रीकण्ठाय च ते नसः q विश्वेश्वराय gata गौरोशाथ बराय च ॥ १८॥ | स्त्युज्जयाय वीराय वीर भद्राय ते नमः |कासनाशाय गुरवे सुक्तिनाथाय ते नम! || VS |! चिरूपाचाय विधये TRAIT ते नसः 1जालन्धरशिरश्च्छेन्रे हविषे हितंकारिणे॥ Re |! |` सहाकालाय वेद्याय घुखणेशाय ते नसः E नम ओङ्काररूपाय सोमनाथाय ते नमः ॥ २१॥ _ रामेश्वराय शुचये MATT नमो नल; | व्घस्बकाय निरीहाय केदाराय नसो AA! २९॥ गङ्ाधराय RAY : नागनाथाय ते नसः अस्मप्रियाय महसे रश्मीशाय नमो नमः ॥ २३ il ` पूर्णाय भूतपतये सर्वेज्ञाय दयालवे | _ чиїч धनदेशाय गजचमंस्चराय च ॥ २४॥ ` भालनेत्राथ यज्ञाय श्रीशलपतये नमः | ` AMAA नीललोहिताय नमो नमः ॥ २५ |) $ शिवसहस्रनाम | 3 अन्धकासुरहन्त्र च पायनाय बलाय च | 27-71 चिनेत्राय दक्षनाशकराय च ॥ २६ || नसः सहस्रशिरसे जयरूपाय ते नमः। . жегет योगिहत्कत्जवासिने ॥ २७॥ सव्योजाताय AT RAT च। ` आसो दाथ प्रगल्भाय गायत्रीवल्लभाय च || RE N व्योभाकाराय विप्राय नमो विप्रप्रियाय च। | अघोराय खुवेशाय उवेतरूपाय ते नसः ॥ २६ |) RTE аяға विश्वघासाय नन्दिने | अधर्सशञ्रवे तापदुन्डुमीसथनाय च ॥ ३०॥ अजातशत्रवे तुभ्यं जगत्प्राणाय ते नमः | नसो ब्रह्मशिरश्छत्रे पञ्चवक्त्राय «ЕЯ || ३१॥ . हरिकेशाय frat чиячїч TO | नसः पश्चाच्रायाथ गोचद्धनगताय च || ३२॥ ИЯ जनबीजाय कालकूटविषादिने | бехата सिद्धाय सहस्रवदनाय च॥ ३३ ॥ аа: सहस्रहस्ताय सहस्रनयनाय च | सहस्रसूतये तुभ्य विष्णवे जितशत्रवे ॥ ३४ || काशीनाथाय MTA नमस्ते विश्‍्वसाचिणे। ; हेतवे «атай पालकाय नमो नमः 11 ३५ ।} ||||श्प शिवसहस्जनाम . जगत्संहारकाराय त्रिघावस्थाय ते नसः एकाद्शस्वरूपाय नमस्ते बहुसूतये ।। ३९ ॥ | नरसिंहमहाद्पघातिने शरभाय Wl स्माभ्यक्ताय तीय जाहचीजनकाथ 9 11 ३७॥ देवदानवदैत्यानां शरवे ते नमो नमः द्लिता्जनभासाय नमो वायुस्वरूपिणे || ३८ N नम्‌! स्वेच्छात्वरूपाय प्रसिद्धाय नसो नसः शृषभधवजाय गोष्ठ याय जगद्यन्त्रप्रवतिने। ३६ || अनाथाय प्रजेशाय विष्णुगवहराथ च | हरिविघातकलहनाशकाय नमो AM ॥ Ҹо Il |गदाहस्ताय घरवे गगनाय नभो. ян: कैवल्यफलदात्रे ते परमाय नमो नमः ॥ ४१॥ | ज्ञानगम्याय ज्ञानाय घण्टारवप्रियाय च | पद्मासनाय Tears निर्वाणाय नमो नमः ॥४९॥ ` अयोनये सदेहाय PAA नमो नमः अन्तकालाधिपतये विशालाक्षाय ते नमः ॥ УЗ |! | कुबेरबन्धवे तुभ्य सोमाय सुखिने नमः |. अखतेशाय सौम्याय खेचराय च घन्विने || ४४॥ ` प्रियवदाय cata वन्दिने विभवाय च | गिरीशाय गिरित्राय गिरिशान्ताये नम: ।।४५।। | शिवसहस्रनाम १ पारिजाताथं TER पञ्चयज्ञाय ते am | तरुणाय विशिष्टाय यालरूपधराय च || ४६ || जीवितेशाय पुष्टाय पुष्टानां पतये नसः | waged हिरण्याय कनिष्ठाय नमो नमः || ४७ || मध्यमाय विधाने च शूराय FATT 'च | आदित्यतापनायाथ पुण्यश्लोकाय ते नमः। ४८॥ महाहृदाघ हस्वाय वामनाय नसो नसः | नसर्तत्पुर्षायाथ चतुहस्ताय साथिने ॥ vs [| नमो घूजटये तुभ्यं जगदीशाय ते नमः। जगन्नाथाय महसे लीलाविग्रहधारिणे ॥ Yo | अभयाय नमस्तुभ्यसमराय नमो AT] آ‎ OTT नमस्तुभ्यमक्षयाय नभो AM ॥ ५१ ॥ ` लोकाध्यक्ष नमस्तुभ्यमनादिनिक्षनाय च | व्घत्तोत्तराय व्यक्ताय नमस्ते परमाणवे |) ५२ || लघवे स्थूलरूपाय नमः परशुधारिणे | नसः SATS हस्ताय नागहस्ताय ते яа: 43 || चरदाभंयहस्ताय घण्टाहस्ताय ते नम! | घस्मराय नमस्तुभ्यसजिताय नमो नम; ॥ YY |) TRT पश्चन्रह्ममयाय च। | पुरातनाय शुद्धाय . बलप्रमथनाय च ॥ ५५ ॥ | af “. = а برو‎ « қ А: کا Ro शिवसहस्रनाम. पुण्योदयाय पद्माय AJRI नसो नसः लदाराय विचित्राय विचित्रगलये नसः "۱1 याण्विशुद्धाय चितये निशुणाय नसो नसः | परसेशाय शेषाय ан: परतराय ؟‎ ٢١ महेन्द्राय सुशीलाय करवीरप्रियाय च | महापराक्रमायाथ. नमस्ते कालरूपिणे їс! | विष्टरश्रवसे लोकचूडारत्नाथ ते नल! | аята AMIGA करुणाय नटाथ ۹ ١۱١ अनघ्यीय RUT «ича ते नस! परसज्योतिषे पद्मगभोय सलिलाय ٧ तत्त्वाधिकाय तत्त्वाय नभो दीघोय रक्षिणे | 'नमस्ते पाण्ड्रज्ञाय та ब्रह्मचारिण ॥६१॥ अणवे निष्कलायाथ талата च | नमोऽचयाथ चेत्रांय नमस्ते पुण्यसूतये ۱۱ कलाघराय पूज्याय, पञश्चभूतात्मने नमः निवोणाय च åsna पापनाशकराय च ॥६३॥ विश्वतश्चक्षुषे कालयो गिनेऽनन्तरूपिणे | .सिद्धसाधकरूपाय नमो 88-63 іші |अशगण्धाय प्रतापाय सुधाहस्ताय त नम, | - श्रीवल्नमाय निधये स्थाणवे मधुराय च NANI | शिवसहस्जनाम az उपाधिरहितायाथ नमः सुकृतराशये | नमो खुनीश्‍वरायाथ शिवानन्दाय ते नमः 118911 Баспа नभस्तेजोराशयेऽनुत्तमाय ч! SGA MATT नमो बुद्धीन्द्रियात्मने ॥६७॥ उपद्रवहराथाथ प्रियसन्द्शनाथ च। आूतनाथाय सूताय 76 ते яя: 11851 ` Acavata निरूपाय घडवक्त्राय विशुद्धये | कूलेशाय маза STRAT ते नमः॥६९॥ ` ‚ हिरण्यबाहवे जीववरदाय नसो नमः | | आदिदेवाय TT चन्द्रसन्जीवनाय च ॥७०॥ हराय बहुरूपाय प्रसन्‍नाथ नमो नमः | आनन्दभरितायाथ कूटस्थाय नमो नमः ॥७१॥ नसो सोक्षझुलायाथ शाश्वताय विरागिणे। यज्ञ भोक्ते सुषेणाय दक्षयज्ञविघातिने ॥७२॥ ` नमः чача तुभ्यं विश्वपालाय ते नम! | | Ranra गौय वेद्गमोय ते नमः WORM ` संसाराएवमग्नानां दुःखसंसारहेतचे | झुनिप्रियाय जीवाथ чытач नमः ॥७४॥ : समस्तबन्धवे तेजोसूतेये ते नमो नमः| ` आञ्जरमस्थापकायाथ चिने छुन्द्राय च ॥७५॥ ' ۰ за ` ` शिवसहसनाम सुगवाणापंणायाथ शारदावल्लभाय च। | विचित्रमायिन्रे तुन्यमलळूरिष्णवे नमः ॥७९॥ ` बहिसुंखमहाद्पथनाथ नमो नसः। ` नमोऽछ्टसूतंये तुभ्यं निष्कलङ्काय ते नस; ॥७७॥ ` नमो हव्याय भोज्याथ यज्ञनाथाय ते नसः | नसो मध्याय FETT वसिष्ठाय नमो नमः ॥७८॥ अस्बिकापतये तुभ्य सहाद्न्ताघ ते नसः | यप्रियाय सत्याय प्रियद्त्याथ ते яя: ॥७६॥ नित्य तृसाय वेदित्रे. angen ते नस! | अद्धेनारीश्वरायाथ कुठारयुत्तपाणये (со) चराभयप्रदात्रे ते ERIN ते AR: महारथाय ачта कीतिस्तम्भाय ते A: 191 - नमः कृतागमायाथ, वेदान्तपठिताथ च | अत्राय. अतिमते बहुश्चतितराय च ॥८९॥ अघाणाय नमस्तुभ्यं गन्धावग्रहकारिणे | | पादहीनाय वोढाय ATA am ॥ठ३। | अक्षाय जननेत्राय नमस्तुभ्यं चिदात्मने | | रसज्ञाय नमस्तुभ्य रसनारहिताय च.॥८४॥ असूर्तायाथ सूतीय सदसस्पतये नमः। - जितेन्द्रियाय तथ्याय परंज्यातिःस्वरूपिणे Nault: ٢ ٨ >, ह ) . १ athe „к हट EOE शिवसहस्जनाम es з नमस्ते सयेसत्यीनासादिकर्ञे दयालचे | सर्णश्थितिविनाशानां कर्जे ते प्रेरकाय च Neal азнача ERT नसो яи: | ARATE ते पुराणाय नमो नमः ॥८७॥ वामदलिणिपाश्वोप लोकेशहरिशालिने | नसः सकलकल्याणदायिने प्रसवाय च ॥८८॥ स्यमावोदारधीराय सूत्रकाराय ते नमः | विषयाणेवमग्नानां EWTA ॥८९॥ अस्नेहस्नेहरूपाय वात्तीतिक्रान्तवतिने | यज्ञ सब यतः सवं सब यत्र नसो नमः (loll नमो सहाणंयायाथ भास्कराय नमो नमः भक्तिगस्याय भक्तानां BCA नमो नसः 1.६१॥ serrata दुष्टानां विज्ञेयाय विवेकिनाम्‌ | अलौकिकाय लोकाय AMAT नमो नसः ॥६२॥ प्रयित्रे विशेषाय कुशलाय शुभाय 9 | नसः कपूरगोराय सपहाराथ ते नमः 18311 तमः संसारपाराय कमनीयाय ते 99:1. atar वायुदपेविघातिने ١ जरातिगाय Rata वेद्याय व्यापिने नसः। O ` सरयंकोरिप्रकाशाय निष्क्रियाथ नमो नमः (18411 RS शिवसहस्रनाम चन्द्रकोटिसुशीताय कपिलाथ नसो नमः | नमो शुदर्वरूपाय निश्चलाय पराध च ।!8६॥ नमः सत्यप्रतिज्ञाय नमस्ते Baars | एकरूपाय . शून्या. विश्वनाभिहदाय च ॥६७॥ पूर्चोत्तमाय लोकाय प्राणाय सुहृदे नमः नसः परायणाथाथ चिन्माचाय नमो नस! ١١ ध्यानगम्पाय ध्येयाथ ध्यानरूपाय ते नभः | नमस्ते शारवतैश्वय्थविभवाथ नसो ЕН! नसः प्राणेश्वरायाथ सबेशक्तिधराय ` च | ।TTT धन्याय पुष्कज्ञाय नमो ян: ॥१००॥ ।प्रतिष्ठाये wane RAITT च | योगेश्वराय थागाय ATT A AM! ॥१०१॥ महेन्द्रोपेन्द्रचन्द्राकनसितताय аат नमः। | सहर्षिवन्द्तायाथ प्रकाशाय BAT ॥१०९॥ नमो हिरण्यगभीय नमो हिरण्मयाथ च। - जगद्बीजाय हाराच सेव्याय क्रतवे AM ॥१०३॥ |आधिपत्याय कामाय स्वराय यशसे नमः ; नमः प्रचेतसे AMAIA सकलाय च 1100511. नमस्ते RT नमस्ते ब्रह्मयानये। - . योगात्मनेऽचिन्तिताय दिव्धबृत्याय ते नमः १०५॥ शिवसहस्रनाम әу? जगतासेकनाथांथ सायाबीजाय ते नसः | ' सवहत्सन्निविद्ठाय HERAT च lll जह्मानन्दाय अवते ब्रह्मण्याय नमो नसः | ' आूसिसारातिसहत्रे अवसारथये नमः ॥१०७॥ हिरण्यगभंपुजाणां प्राणसंरक्षणाय च | HUY घडचिकाररहिताय नभो नमः ॥१०८॥ नसो देहाडकान्ताय षडूमिरहिताय च | SRA भवनाशाय атата ٣ت‎ 11408411 अनन्तकोरिन्रह्माण्डनायकाय ART AA: | ' एकाकिने निर्मलाय द्रविणाय AW च folk नमस््िलोचनायाथ शिपिविष्टाय बन्धवे | _निचिष्टपेशवरायाथ नमो व्याघेश्वराय च ॥१११॥ विश्वेश्वराय दात्रे ते नमश्चण्डेश्वराय च | च्यासेश्‍वराय बुधिने कण्डुकेशाय ते नसः ॥ ११२ नमो योगेश्वरायाथ द्वोदासेश्वराय च | ' नागेशवरापय न्यायाय न्यायनिवाहकाय च ॥११२॥ शरप्याय खुपात्राय कालचक्रप्रचतिने | RAW दुष्ट्राय शवतारवाय नमो नमः ॥११४॥ | नीलजीसूतदेहाय परात्मज्योतिषे नमः शरणागतपालाय महाबलपराय च ॥१९५॥ २६ शिवसहस्जनाम सचेपापहराधाथ महानादाघ ते नमः। желген जयदात्रे ते बिल्वकेशाथ ते नमः ॥१ | Ranma दण्डाय कोविदाथ नसो नमः | कामपालाय चित्राय विचित्राय नमो नमः ॥ ११७॥ _ नसो सातामहायाथ नमस्ते मातरिश्वने | निःसङ्गाय gaara RAAT जयाथ च ॥११८॥ | व्याजसंमद्नायाथ सध्यस्थाय नमो नल! | अशुछशिरसा . लड्डानाथद्पहराथ च ॥११३॥' व्याप्रपूरनिवासाथ नमः «ха च | . नसः . परावरेशाय जगत्स्थावरसूतंये ॥१२०॥॥ | नमोऽप्यणुप्रमेयाय зп биэ | | नारायणाय वासाय =ч नमो नमः NRU नसो ब्रह्माण्डमालाय गोधराय वरूथिने | 3 82141414 GATT नमः पातालवासिने |19931) - नमस्ताराधिनाथाय वागीशाय नमो नसः : सदाचाराय गाराय 317115۹17 च ॥१२३॥ ' ससारमोचकायाथ विने लिट्गरूपिणे। | सचिदानन्द्रूपाय पापराशिहराय च॥१२४॥ | अतक्योय प्रमेयाय प्रमाणाय adam) | - कलिग्रासाय भक्तानां सक्तिसुक्तिप्रदायिने ٧٧ )|mat 1 ee YY . ' ЖЕК 4 ж. РУР ०० के! r शिवसहस््रनाम ‎وو गजारये विदेहाथ faeces ¥ | अचिन्त्यशक्तयेब्लध्यशासनायाच्युताय च॥ १२६॥ नसा राजाधिराजाय चेतन्यविभवाय = | AM शुद्धात्मने ब्रह्मज्येतिषे स्वस्तिदाय च ॥१२७॥ लया भवे च їч समर्थाय च यज्वने | चक्रश्वराय रुचये नमो नक्षञ्रमालिने Ull अनथनाशक्ायाथ 'सस्मलेपकराय | सदानन्दाय विदुषे खुशुणाय चिरोधिने ॥१२९॥ दुर्गमाय Pasta सुगव्याधाय ते नमः | प्रियाय घम्संधाम्ने ते प्रयोगाय विभागिने 1 2:11 127۷5١ सोमपाय तपस्विने | ' नसो विचित्रवेषाय पुष्टिसंवद्धनाय च ॥१३१॥ 'चिरन्तनाय धनुषे स्थविराय ANA च। 'नियम्षायाग्रगण्याय व्योप्तातीताय ते नमः 1193311 संवत्सराय लोप्याय स्थानदाय स्थविष्णचे । | व्यचसायाफलान्ताय महाकर्त्रे प्रियाय च ULAR गुणञयस्वलूपाय नमः सिद्धिस्वरूपिणे | नमो नमः स्वरूपाय स्वेच्छाय पुरुषाय च ॥१३४॥ - कालान्तराय वेदाय नमो ब्रह्माण्डरूपिण | अनित्यनित्परूपाय ` तद्न्तवतिने नमः ॥१३५॥ ‏जनाम्शिवसहसسامت ` नमस्तीथीय छुल्याय पुण्याय Ч54 नसः 'पञ्चतन्मात्रूपाय पञ्चकसेन्द्रियात्सनं | Agga quia नमस्ते विषयात्मने ॥१३९॥ अनवद्याय शास्त्रय स्वतन्त्रायास्रुताध च | नमः प्रौढाय प्राज्ञाय यागारूढाय ते नमः 11239) qama प्रभावाय प्रदीपविसलाथ च | विश्वावासाय aq वेदनिःश्वस्िताथ = 114 Rall AGHA सुवीराय नागचूडाय ते नसः। . च्याघाय बाणहस्ताय ағыта TAY नमः ॥ १३६॥ AAA रहस्याय स्वास्थाप च वरीयसे | गहनाय विरामाय सिद्धान्ताय नसो नमः ॥ १४०॥ महीधराय होत्र ते EAN. ते नसः ज्ञानदीपाथ ena सिद्धान्तनिश्चयाय च | іча эта झुशलाय विलासिने ॥१४१॥ प्रेरकाय विशोकाय हविद्धोनाथ ते नमः | गम्भीराय सहायाय भोजनाय सुभोगिने ॥१४२॥ महायज्ञाय ATA नमस्ते भूतचारिणे | ` नमः प्रति्ठितायाथ महोत्साहाय ते नमः ॥१४३॥ परमाथोय शिशवे प्रांशवे च कपालिने | |सहजाय गहस्थाय सन्ध्यानाथाय जिष्णवे ॥१४४॥ | 'शिवसहस्ननाम २8 षड्भिः संपूजितायाथ विद्लासुरघातिने। . जनानन्दाथ योग्याय कासेशाय किरीडिने ॥१४५॥. . असोघविक्रमायाथ नग्नाय दलघातिने । -संग्रामाय апа शुचिहास्याय ते नसः ॥ айша आमने ते श्येनाय 77 HIE मंलुष्घबाद्यगतये 57 शिखण्डिने | निर्लेपाय जदाद्रीय महाकालाय ATT ॥१४७: ` नसे विरूपरूपाथ शक्तिगम्याय ते नमः | E ча: सवीय सद्सत्पराय 27۲1 T geal नस भक्तिप्रियाणाथ श्वेतरक्षापराय T | | 7 ۶۶17 रथिने नमः 1 नमस्ते частата घनाध्यक्षाय Rell . | саса 7 कल्पनारहिताय च ॥१९० रुपाताय जितविशवाय गोकणोय FAT | ааа REN वदान्याथ 7 स्बिने 1 विरजाय, सुगन्धाय नमो विश्‍वस्सराय च | | भवातीताय ष्ठाय नमस्ते सामगाय ч ٧٨ ' अट्गेताय द्वितीयाय कल्पराजाय ओगिने। : , चिन्माय नमः शुक्लज्यातिषे 21717 च ॥ ТЕТЕ ATA AGE खाम्बराय नमो नस! | सवेज्ञमूतये तुभ्यं हिरण्यरेतसे नमः | -शारदाय खुशीलाय कोशिकाय घनाय च ॥१४४॥ |अभिरामाय तत्त्वाय व्यालकल्पाय ते नम! | | अरिष्टमथनायाथ सुप्रतीकाय ते नमः ॥१४९॥ |आशवे ब्रह्मगभाय वरुणायेनद्रये AR: | | नम; कालाग्निरुद्राय श्यामाय सुजनाय च ॥१५७॥ | अहिवुध्न्यायाजराय тата सुशान्ते | नमः समयनाथाय BATT गुहाय च [Ell |निलघ्याय नमस्तुभ्यं छन्द्साराय «(9 | |ज्योतिलिज्ञाय मित्राय जगत्छुहितकारिणे ॥१४६॥ || अवधूताय शिष्टाय छन्द्सां प्रभवे नम; | alनमः फेण्याय युद्याय सर्वेबन्धविमोचिने ॥१६१॥ |वसवे FEAT नमो भ्राजिष्णुविष्णाव ॥ १६९॥ | चक्रिणे देवदेवाय गदाहस्ताय yÊ | 1 зә үш Зо қ शिवसहस्रनाम 1 नमस्ते स्वप्रकाशाय स्वच्छन्दाय सुतन्तवे ॥ १५४॥ | _ नमः कारुण्यनिघये श्लोकाय जयशालिने | | ज्ञानोद्राय बीजाय ` जनविश्रमहेलचे ॥ १६०॥ | ` उदारेकीतये शश्वत्प्रसननयद्नाय ¥ | नमस्ते पारिजाताय गणाधिपतये नमः ॥१६३॥ शिवसहस्रनाम | 21 TITER प्रजनेशाय ते नसः | SANTANA खुरपाश्वगताय च ॥१६४॥ अशरीराय शुक्राय सबान्तर्यामिणे नम! | खुकेशाय खुपुष्पाय श्रुतये पुष्पमालिने ॥१६५॥ . झुनिध्येयाय gaa चीजस्थाय मरीचये। . प्वासुण्डाजनकायाथ नमस्ते कृत्तिवाससे ॥१६६॥ व्योमकेशाय Avar घर्मपीठाय ते नमः | agaa दीसाय बुद्धाय शनये नमः 18491 शिष्टेष्टाय मघवते केतवे करुणाय च | ` ROUT भगवते बाणद्पह्राय च || १६८॥ अतीन्द्रियाय रस्याय ज्ञानानन्द्कराय च | सदाशिवाय धौम्याय चिन्त्याय चन्द्रमोलिने॥ 9841 नमस्ते जातुकण्योय सूयाध्यक्षाय त ян: 1 атаа छुण्डलीशाय वरदायाचलाय च ॥१७०॥ वसन्ताय सुर अये जयारिमथनाय च। [ ` प्रेतपुरञ्जयायाथ एषद्श्वाय ते नमः ॥१७१॥ | रोचिष्णवे खुरजिते श्वेतपीताय ते नमः | | नमस्ते चश्चरीकाय तमिस्तमथनाय च ॥१७२॥ | . प्रमाथिने निदाघाय चित्रगभोय ते ян | | . शिब्रालयाय स्तुत्याय तीर्थदेवाय ते नमः ॥१७३॥ if निरवद्याय दानाय .विचित्रशक्तये . नस! अहङ्कारस्वरूपाय सेधाधिपतये яя: | ARARAT ۳۳۲ स्वतन्चगतये AM: КЕСУІ! अपाराय तत्त्वविदे Basar ते AA | ھ‎ पश्चास्याय. चदान्याय विश्वप्राणश्वराय च ॥१७६॥ | अगोचराय BAA шя वडवाग्नथे | | फेण्याय पह्महस्ताथ नमस्ते THETA ॥१७७॥ |अनावृताय सुक्ताय मातृकापतये नमः | नमस्ते बीजकोशाय तीव्ानन्दाय खुक्तये ॥१७८॥ नमस्ते विश्वदेवाय शान्तरागाय ते яя: | अनाद्यन्ताय चण्डाय सनानाथाय ते नम; | नमस्त्रिकाग्निकालाय देवसिहाय ते नमः | } чаі मणिपूराय चतुवंदाय ते नमः | 3:CMA सुचासाय ह्यनन्तरज्ञाथ ते नमः। |नमस्ते शिवधभोय महाधमोय ते नमः ॥१८९॥ | प्रसन्नाय नमस्तुभ्यं सवोन्तज्येतिषे नमः. BR शिवसहस्रनाम _ aagana. महसे. वितानपतये नस! ॥१७४॥ |‚ विलोचनाय तोयाय हेमगर्भाध ते नस; ॥ १७६॥ | ५ ज्ञानस्कन्धाय तुष्टाय कपिलाय AERA ॥ १८०॥ |Sarat कुलेशाय यच्राच्समन्महे 1 शिवसहस्रनाम २२ श्रीमहादेव उचाच- | जपन्तु wad देवा әгі दशशतीमिमाम्‌। | मम चातिप्रियकरीं महामोच्तप्रदायिनीस्‌ ॥ ۱1 संग्रामे जयदात्रीं च सरवंसिद्धिमयीं शुभाम्‌ । | YT: SIU सर्वपापैः प्रसुच्यते ॥ १८४ || पुत्रकामो लभेत्पुत्रं राज्यकामस्तु राज्यताम्‌ | प्राप्छुयात्परया भक्त्या धनधान्यादिकं A ॥ १८६॥ शिवालये नदीतीरे५*वत्थसूले विशेषतः . _ 3 © प्रजपेट्लिद्धिदां देवाः शुचो देशे शमीतले॥ १८७ ॥ घनकामस्तु जुड्यादुद्वताक्केर्बिल्वपञकेः | मोच्तकामस्तु गव्येन घृतेन प्रतिनामतः | {сс | पुत्रकामस्तु Beata तिलाज्येन तथाऽन्धसा | आयुःकामस्तु ज्ञुटयादाज्येन मधुना तथा ॥ ١ मत्समीपे प्रदोषे च WIT भफ्त्या जपत्यथ। जीवन्सरूपतां प्रेत्य सायुज्यं समवाप्डुयात्‌॥ १६० | कालोऽपि »تم‎ हि मम सक्तं न लुम्पति | अहं स्वामी खुरास्तस्य नेष्यामि गतकल्मषम्‌ ॥ RER ॥ ‎مه ییजपेङ्गक्त्या TEC नियमान्वितः | मरञ्चित्तो मन्मना भूत्वा ҸӘ: प्रमुच्यते ॥ १६२॥ eared यत्पुण्यं ЧӘ वेद्पाउतः 1 तत्स प्राप्यते पुंभिरेकामनसाऽमराः || १६३ N < Е . є Е Т .Г =٩ AF٩ - уу ҮЗг“७०७ ८४арай چ‎ सस्य Ет` यत्फंलंः ` लभते नरः । कपिलाशतदानस्य ` तत्फलं पठनाङ्गवेत्‌॥ १६४७ ॥ कन्याकोटिप्रदानस्य यत्फलं लभते नरः। . तंत्फलं लभते четата दशशतीजपात्‌॥ ٠ यः эгет महाविद्यां आवयेद्वाऽपि भक्तितः! सोऽपि सुक्तिमवाप्नोति यत्र गत्वा न शोचति ॥ १९६ |) यच्षराक्तसवेतालग्रहंकूष्माएडमैरवाः. | पठनादस्य नझ्यन्ति WAS शरदां शतम्‌ ॥ १६७ || ब्रह्महत्यादिपापानां . नाशः स्याच्छुवणेन T | किं पुनः पठनादस्य युक्तिः स्यादनपायिनी || १६८॥ इत्युक्त्वा ख महादेवो भगवान. परमेश्वरः | पुनरप्याह भगवान्झपया परया युतः ॥ १६६ ॥ 'दीयतामात्मभक्तेभ्यो यदुक्तं भवघातकम्‌ | Е ITE देवः परमानन्द्रूपचान, ॥ Roo | . | tery उवाब-- . एतदेव पुरा रामो लब्धवान्कुम्भसंभवात्‌ ॥ अरण्ये दरडकाण्ये तु प्रजजाप रघूद्वहः ॥१॥ : ` नित्यं त्रिषवणस्नायी त्रिसन्ध्यं संस्मरञ्शिचम्‌॥ तदासो देवदेचोऽपि प्रत्यक्ष प्राह राघवम्‌ ॥ २ w एतदासाद्य पौलस्त्यं जहि मा शोकमहंसि алг «пиш жї देवाः प्रजपामि सुभक्तितः॥. - . : गृह्णन्तु परया भक्त्या भवन्तः: सवं एव е ЕЛІ श्रीवेदव्यास उवाच-- ततस्ते ऋषयः 'सर्वे जणइुसुनिपुङ्गवाः ॥ TEETER भक्तियुक्तन AAT U.N цаа: कथितं सच fart सुनिसत्तमाः॥ Derg मम वाच्येन सु क्ति प्राप्स्यथ निश्चितम्‌ ٠ भवद्भिरात्मशिष्येभ्यो दीयतामिद्मादरात्‌॥ रश नास्नां सहस्ममेतद्धि लिखितं यन्निकेतने ЕСІН अविमुक्तं तु तद्गेहं तत्र तिष्ठति शङ्करः॥ ` झनेनमन्त्रितं भस्म दुष्टदुः्खचिघातकम्‌ ॥ ८॥ ` पिशाचस्य विनाशाय जप्तव्यमिंद्सुत्तमम्‌॥ | नाम्नां तेन सहस्रेण समं किञ्चिन्न विद्यते॥ २०६ N: “ж Di इति श्रीपद्मपुराणे -उत्तरखण्डे शङ्कखंहितायां भ्रीकृष्णमाकेएडेयसंचादे वेदसाराख्यं परमदिव्य शिवसहस्ननामस्तोत्रं «ЧЧ, शिव-मजन (%) जपो शिव नाम को प्यारे बृथा क्यों जन्म TR हो। समय Gt खोय कर खाली गये अवसर को रोते हो tl करी है शंभु ने .दाया हुई नर-देह जो 71 भला क्यों पाय कर पारस नहीं तुम हेम होते हो ॥ guka 8 तुम्हे यह देह थर के ईश को भजना। मगर हर हर ए भव हर में बैल से तुम तो जोते हो N नहीं कुछ काम mam किया पताव पीछे M यकीनी वात यह मेरी जिसे तुम फिर भी टोते кї! शरण तुम 'चन्द्रशेखर' के वचन तन मन से हो जाओ | न खाया चाहते संसार-सागर के जो गोते हो॥ 7 आए हैं दुनिया में هپ‎ .د गाने के लिण | हर әнің कर्म कर Чая कराने के бис! जो खुछत की राशि gaa देव नर काया मिली | SCM होकर उसे खाथक कराने के लिए | 'काम कोधादिक पतंगों को क्षणक में, чиг सी। भावना हर की भभकती में जलाने के लिप॥ _ पुत्र धन सुख स्वगे की तरु वासना सह शाख को। | ' 'हर-मेहर हथियार ले जड़ से मिटाने के бит. 'चन्द्रशेखर' शान योग विराग सब का सार айл ` |ас की हमराही मे रह हर के कहने के लिए॥ |8 (белің से) |\ Ў ` ~ ‎پرЕ от < KA ava Jes CT 4 т ۷٧ / : थे = की अत्युपयोगी पुस्तकें 'शिव-भक्तपाल ( सचित्र) २) शिव-भक्तमाल पूवाद सादा... |) शिव-भक्तमाल उत्तरा ІІ) द्वादशज्योतिलिक اا‎ काशीमोक्षनिणय (सटीक) | ЕЕ शिव-पूजा-विधान 1) शेव-प्रमोद | 9 शिवाशिवललितावली ॥) ओड़ार और ӘНІН ار‎ शिव-महिम्नस्तोत्र ( पदच्छेद अन्वय सहित) |) शिव-महिम्न, 181-5, 7 .- { एक साथ ) 1) शिव-कवच ( भाषा टीका ) 21 शिव-सहस्ननाम | रया : 2) |` श्रीसदाशिव-सुधा (чч) ` ©) |) COK: kl =) _ पता गोरीशङ्कर गनेड़ीवाला, छपरा ( सारन ) |

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